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काम कोई मुझे बाकी नहीं / अकबर इलाहाबादी
Kavita Kosh से
काम कोई मुझे बाकी नहीं मरने के सिवा
कुछ भी करना नहीं अब कुछ भी न करने के सिवा
हसरतों का भी मेरी तुम कभी करते हो ख़याल
तुमको कुछ और भी आता है सँवरने के सिवा