काम पैसे से क्या नहीं होता
फिर भी पैसा ख़ुदा नहीं होता
वो अगर बेवफ़ा नहीं होता
ख़ुद से मैं आश्ना नहीं होता
आदमी-आदमी बराबर है
कोई छोटा-बड़ा नहीं होता
आ निकलता हूँ तेरे कूचे में
जब कोई रास्ता नहीं होता
जो मुहब्बत में जान देता है
मर के भी वो फ़ना नहीं होता