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काम पैसे से क्या नहीं होता / रोशन लाल 'रौशन'

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काम पैसे से क्या नहीं होता
फिर भी पैसा ख़ुदा नहीं होता

वो अगर बेवफ़ा नहीं होता
ख़ुद से मैं आश्ना नहीं होता

आदमी-आदमी बराबर है
कोई छोटा-बड़ा नहीं होता

आ निकलता हूँ तेरे कूचे में
जब कोई रास्ता नहीं होता

जो मुहब्बत में जान देता है
मर के भी वो फ़ना नहीं होता