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काम रहता है हर घड़ी ग़म से / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
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काम रहता है हर घड़ी ग़म से
दूर रहती है हर खुशी हम से
आप क्या हम से रूठ जाते हैं
रूठ जाती है ज़िन्दगी हम से
इस क़दर ग़म न दे मुझे ऐ दोस्त
मर न जाऊं मैं शिद्दते-ग़म से
आ गये हैं वो बज़्म में 'रहबर'
पड़ गए हैं चराग़ मद्धम से।