बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काये कौ कोट काये जरा जरिया।
सोने को कोट मोतिन जरा जरियो।
को भऔ दियला को भऔ बाती।
काना कौ अरग चुये सब राती
चन्द्रामल दियला दुलइया रानी बाती
सूरजमल दियला दुलइया रानी बाती।
रोहिणी बाई कौ अरग चुये दिन राती।
बीरन राजा दियला भौजी रानी बाती।
फुआ बाई को अरग चुयै सब राती।