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काय भये सन्तोषी भैया / महेश कटारे सुगम
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काय भये सन्तोषी भैया ।
बात कभऊँ जा सोची भैया ।
उनकी सत्ता रहै सुहागन,
हमईं बने रयें दोषी भैया ।
मिलकेँ मूरख हमें बना रये,
समझौ बात भरोसी भैया ।
ज़हर भरी उनकी बदमाशी,
हमनें पाली पोसी भैया ।
उनकी चालें सोचौ समझौ,
संभर जाओ अब घोसी भैया ।
सुगम अबै तक खूब सोत रये,
अब टोरो मदहोशी भैया ।