भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कारीगर और मैं / प्रभात त्रिपाठी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

चन्दन के काठ की क़लम जिसने बनाई
क्या उसे आता है लिखना ?

सोचा मैंने एक पल
लिखा मैंने एक शब्द
अपने मन में

जंगल जल गया कहीं दूर
बदहवास दौड़ा कारीगर
शहर की ओर
शहर तैयार था
बन्दूकों से लैस
उसने कारीगर से कहा
चुप रहो
चुपचाप करो अपना काम
मत लिखो, मत लिखो
अपना नाम

सचमूच गूँगे की तरह
एक शब्द बोले बिना
उसने बनाई क़लम
मैंने ख़रीदी
और दूसरे पल
अपनी सफ़ेद क़मीज में
शान से लटकाकर नई क़लम
चला गया
बन्दूकधारी को सैल्यूट मारने ।