भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कारू पांती / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जूण री गाडी खींचण
आखै दिन हांड्या
खट-खट खूट्या हाड
होठां फेफी
गाभां बूफण
बाळी तावड़ै चाम
बाद खोरसै
ढळलै तारां
काम करणियां सूं
बेसी पण लेयग्या
काम करावणियां दाम!

लाज-सरम
धरम-करम
कानून-कायदा
कारू पांती
बंारै पांती
फगत फायदा
बां री रुखाळी
दमड़ी माता
कारू रुखाळो
फगत अदीठो राम!