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कार्ल हाइनरिष मार्क्स / हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर / सुरेश सलिल

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येहोवा सदृश दाढ़ी वाले ओ विराटकाय पितामह
भूरे डेगारोटाइप छायाँकनों में
हिमश्वेत पृष्ठभूमि परिवार
देखता हूँ तुम्हारी मुखच्छवि
निर्भीक और संघर्षशील,
और लीनेन छापे में तुम्हारे काग़ज़ात
बूचड़ के भुगतान बिल
गिरफ़्तारी वारण्ट
उद्घाटन भाषण ।

देखता हूँ तुम्हारा संगीन हुलिया फ़रारी रजिस्टर में :
शातिर देशद्रोही
जलावतन शख़्स
फतुही और पुछल्लेदार कोट में,
बला का चौकन्ना ।

तुम्हारा आमाशय नमकयुक्त सिरके, शराब
कड़े चुरुटों से झुलसा हुआ।
देखता हूँ रियु डि एलाएंस पर स्थित तुम्हारा घर_
डीन स्ट्रीट, ग्राफ़्टन टेरेस पर
एक दीर्घकाय बुर्जुआ
एक पारिवारिक तानाशाह
घिसे स्लीपरों में :
कालिख और "तंगदस्ती"
सूदख़ोरी "बदस्तूर"
बच्चों की अर्थियाँ
और घिनौने प्रेम-सम्बन्धों की अफ़वाहें ।

तुम्हारे फ़रिश्ते के हाथ में कोई मशीनगन नहीं :
देखता हूँ पुरसुकून नज़रों
ब्रिटिश म्यूजियम में ।
हरी चिमनी की रोशनी में
बेहद सधे हाथों अपना ख़ुद का घर उजाडते हुए
दूसरे घरों की सेहतमन्दी के लिए
जिन्हें तुम ख़ुद कभी नहीं बैपर पाए ।
ओ महान संस्थापक !

ओ महर्षि,
देखता हूँ कि तुम्हारे अपने अनुयायियों ने ही
धोखा किया तुम्हारे साथ :
बेशक तुम्हारे दुश्मन वहीं बने रहे जो वे थे :
देखता हूँ अप्रैल बयासी की अन्तिम तस्वीर में तुम्हारी मुखच्छवि :
एक लौह आवरण
वह लौह आवरण मुक्ति का ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल