काला और सफ़ेद / मेटिन जेन्गिज़ / मणि मोहन
मैं अलग नहीं था नीग्रो लोगों से
उनका काला रंग सफ़ेद था
मेरा सफ़ेद रंग काला
हमसे प्रेम करने वाला वहाँ कोई होगा
हमारे पीछे प्रेम का सौन्दर्य
अन्धकार से निकलता हुआ
एक रोशनी की तरह
हरी और लाल
लाल और हरी
किसी परिकथा का स्पर्श करतीं
शब्द पर भरोसा करते हुए
इस किस्से को अंत तक लाते हुए
मैं अपना नाम लिखूँगा काले पत्थरों पर
शब्द चीख़ेंगे
जैसे लोग चीख़ते हैं आतंकित होकर
फिर रात की यौनिकता में
उभयलिंगी कविता
विस्मृति की तरह प्रवेश करती है
हर घण्टे की शुरुआत में
ख़ून से लथपथ ध्वजाओं के साथ
नीग्रो से प्रेम करना
नीग्रो का मुझसे प्रेम करना
उठकर खड़े होना
पूर्व की जनजाति की तरह
हम किसी चमत्कार से उठ खड़े होंगे ।
वहाँ ईश्वर नहीं था ।
कुछ नहीं ही ईश्वर था ।
रात मगन थी अप्रतिम प्रेम करते हुए ,
विभ्रम थी परिकथा
विभ्रम थी रात
मैं उन नीग्रो लोगों से अलग नहीं था
मेरा सफ़ेद रंग परिकथा था
उनका काला रंग ईश्वर था ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन
लीजिए, अब यही कविता मूल तुर्की भाषा में पढ़िए
Metin Cengiz
SİYAH BEYAZ
benim zencilerden hiç farkım yoktu
onların siyahı beyaz
benim beyazım siyah
bizi bir seven mutlaka olurdu
bir aşk güzeli ardımızda
çıkıp karanlıktan
ışık halinde
yeşil kırmızı
kırmızı yeşil
bir masala dokunurdu
ben bir sözcüğe sığınıp
düğümleyip masalı
kara taşlara yazardım kendimi
çığlık atardı harfler
panik içinde halk gibi
sonra gece cinsiyetli
hünsa şiir
her saatin başlangıcında
üzerinden kan damlayan bayrakla
şehirlere unutuş gibi girerdi
ben doğardım o sessizlikte
zencilerle sevişip
sevişip zenciler benimle
doğunun kavimler parmağı gibi
ayağa kalkardık
ayağa kalkardık mucizeyle. tanrı yoktu. yok tanrıydı. gece
ırksız sevişmelerde, masal sanrıydı
gece sanrıydı
benim zencilerden hiç farkım yoktu
benim beyazım masal
onların siyahı tanrıydı