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कालिंदी तट श्याम कृष्ण ने वेणु बजाया / रंजना वर्मा

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कालिंदी तट श्याम कृष्ण ने वेणु बजाया।
जिसने भी स्वर सुना भागता तट पर आया॥

गोपी गोप समेत मुग्ध वासी सब ब्रज के
कर सब का आह्वान श्याम ने रास रचाया॥

कहते हैं सब लोग श्याम की सूरत काली
उनसे ही लो पूछ जिन्हें श्यामल तन भाया॥

असित देह पर पीत वसन शोभा अति न्यारी
ज्यों कजरारी श्याम घटा में विद्युत-छाया॥

खींचे माया-मोह सदा भव के सागर में
भावों का संग्राम भला कब है रुक पाया॥

नंददुलारे श्याम सभी भव बंधन काटो
नित नवीन सत पंथ धर्म ने भी भरमाया॥

नील नयन रतनार मोह लेते हैं मन को
वह पाता निर्वाण कृष्ण से नेह लगाया॥