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कालीबंगा-३ / ओम पुरोहित ‘कागद’
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बहुत दूर से
ला कर पत्थर
स्थापित किए थे देव
महादेव ।
अभी भी पडे़ हैं
कालीबंगा में
पत्थर
चमकते हैं
देवों सरीखे
परन्तु
कहां हैं
स्थापक ?
थेहड़ मौन है !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"