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कालीबंगा: कुछ चित्र-18 / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
भरपूर हुई फ़सल
बचे थे
कुछ पैसे
गुल्लक में रखकर
गाड़ दिए
धरती में
इनसे ही
करने थे
हाथ पीले
लाड़ली के
वे ही तो निकले हैं
कालीबंगा की खुदाई में
थेहड़ की कोख से
लाड़ली कब ब्याही !
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा