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कालीबंगा: कुछ चित्र-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
न जाने
किस दिशा से
उतरा सन्नाटा
और पसरता गया
थिरकते शहर में
बताए कौन
थेहड़ में
मौन
किसने किसे
क्या कहा - बताया
अंतिम बार
जब बिछ रही थी
कालीबंगा में
रेत की जाजम।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा