कहाँ राजा कहाँ प्रजा
कहाँ सत्तू-फत्तू
कहाँ अल्लादीन दबा
घर से निकलकर
नहीं बताता
थेहड कालीबंगा का
हड्डियाँ भी मौन हैं
नहीं बताती
अपना दीन-धर्म।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा
कहाँ राजा कहाँ प्रजा
कहाँ सत्तू-फत्तू
कहाँ अल्लादीन दबा
घर से निकलकर
नहीं बताता
थेहड कालीबंगा का
हड्डियाँ भी मौन हैं
नहीं बताती
अपना दीन-धर्म।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा