भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काली के मंदिरियामे हम तिरिया / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काली के मंदिरियामे हम तिरिया
हम नोकरिया रहबइ ना
पीड़ी ओ चौपाड़ि निपबइ, नित उठि फूलो लोढ़बइ
अड़हुल के हम हार बनएबइ, काली के पहिरेबइ
हम नोकरिया रहबइ ना
ने हम सेवा छोड़बइ, ने हम शरण सऽ जेबइ
नित दिन करबइ हम चाकरिया
हम नोकरिया रहबइ ना
मन सऽ पूजा हम करबइ, दुख अपन कहबइ
होइथिन हमरा पर सहइया
हम नोकरिया रहबइ ना