भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काले-काले भालू दादा / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहन लिया क्या नया लबादा,
काले-काले भालू दादा?

ठुमक-ठुमककर पाँव बढ़ाते
खूब झटककर लंबे बाल,
जरा हमें भी दिखला दो ना
लाला झुमकूमल की चाल।
फिल्मी अभिनय जब दिखलाते,
गर्दन कुछ मटकाते ज्यादा!

कभी-कभी टीचर बन जाते
खूब बड़ा सा लेकर डंडा,
हँसकर नमस्कार कर दो तो
सारा गुस होता ठंडा।
घेरे खड़े अभी तक बच्चे-
फिर आओगे, पक्का वादा?