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काले कबूतर / नीरज नीर

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उसने एक जाल बुना
फरेब का
उसे रंग दिया
सुनहरे रंग से
और उसमे टाँक दिये
मोहक, चित्ताकर्षक विज्ञापन के झंडे
अलग अलग टैग लाइनो के साथ
वह दिखाता है स्वप्न
इस जीवन के बाद मिलने वाले रिटर्न का
रिटर्न जिसमे मिलेगा हूरों का साथ
अविरल बहने वाली दुग्ध नदी
नृत्य करती हसीन अप्सराएँ
अद्भुत
उस पर अविश्वास किया जा सकता है
उसके वादों पर बहस की जा सकती है
फिर भी
वह दिखा रहा है निरंतर स्वप्न
डेरा जमाकर
मंदिरों, मस्जिदों में
लोग फंसाए जा रहे हैं।
गिरिजे में फंसा कर लाये जा रहे हैं
जंगली कबूतर
काले, भोले भाले
सहज विश्वासी...