भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काले कानून / रणवीर सिंह दहिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसान विरोधी कानून ये देखियो खाल तारैंगे म्हारी हे॥
इसनै वापिस कराने खातर संघर्ष चलाया भारी हे॥
1.
उनके बालक भूखे मरते जिणनै खेत खूबै कमाये
बिना दूध सीत रहवैं सैं जिणनै डांगर ख़ूब चराये
सिरकी घाल करैं गुज़ारा जिणनै ताज महल बनाये
तन पै उनके लत्ता ना जिणनै कपड़े के मील चलाये
भगवान भी आँधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे॥
इसनै वापिस कराने खातर संघर्ष चलाया भारी हे॥
2.
जितना करड़ा काम म्हारा नहीं सम्मान उतना मिलता
दस नम्बरी मानस जितने उनका हुक्म देख्या पिलता
नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक बी नहीं हिलता
सबके ऊपर उसका खयाल नहीं फेर किसा न्याकारी हे॥
इसनै वापिस कराने खातर संघर्ष चलाया भारी हे॥
3.
डांगर की कद्र फालतू माणस बेक़दरा संसार मैं
छोरे की कद्र घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
किसे किसे ज़ुल्म होण लागरे छपते रोज़ अख़बार मैं
माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली बाज़ार मैं
कति छांट कै इसनै चलवाई महिला भ्रूण पै कटारी हे॥
इसनै वापिस कराने खातर संघर्ष चलाया भारी हे॥
4.
इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे माला माल रहे
अम्बानी हर नै जाल पूरया चला ये अपनी ढाल रहे
सोच समझ कै बढियो आगै माफ़िया कसूते पाल रहे
फौज और पुलिस नै बणा रणबीर ये अपनी ढाल रहे
सही सोच कै संघर्ष नै हिंदुस्तानी किसानी चलारी हे॥
इसनै वापिस कराने खातर संघर्ष चलाया भारी हे॥