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काले परे कोस चलि चलि थक गए पाय / भारतेंदु हरिश्चंद्र

काल परे कोस चलि चलि थक गए पाय,
सुख के कसाले परे ताले परे नस के।
रोय रोय नैनन में हाले परे जाले परे,
मदन के पाले परे प्रान पर-बस के।
'हरिचंद' अंगहू हवाले परे रोगन के,
सोगन के भाले परे तन बल खसके।
पगन छाले परे लांघिबे को नाले परे,
तऊ लाल लाले परे रावरे दरस के।