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काल-तुला / रामदेव झा
Kavita Kosh से
पछिलाक पलड़ा जकाँ अछि
भूत केर आयाम
जहि पर
लादल अनेको बटखरा सभ
भाँति-भाँतिक
छोट-मध्यम, और बड़का
जीवनक भोगल क्षणक आ
अतीतक घटनावनी केर।
अगिलका पलड़ा जकाँ अछि
भविष्यक आयाम
जाहि पर लादल-अटेंगल
अनागति केर ढेरी-
जाहि दिस औत्सुक्य भावें
दृष्टि लागल नित्य।
काँट निकुतिक
बनल अछि ई
वर्तमान निमेष-
बीतल क्षण केर बाद
ओ पुनि
अनागतसँ पूर्व
ओ अपन अस्तित्व मात्रक
दैत अछि संकेत-