बटोरकर तवारीखों से साये सारे
चुनचुन के हमने ख़ूबसूरत ग़म लिखे हैं
ज़िन्दगी सारी बिता दी रियाज़ करते
हमदर्द गीतों के हर्फ़्फ़ कितने कम लिखे हैं
खींच कर स्याह अँधेरों पर लकीरें
रोशनी की कहानी अपने दम लिखे हैं
आखि़री साँस भी छोड़ा जब तुम दिखे
काल के गाल पे तुम्हारा नाम हम लिखे हैं
सदाएँ आतीं हैं आज भी सुदूर सदियों से
तेरी पलकों में उनके निशान हम लिखे हैं