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काळ बरस रौ बारामासौ / रेंवतदान चारण
Kavita Kosh से
समझावण जद समंद ने तांण्यौ तीर कबांण
जळ सूख्यौ थळवट भई परगट प्रिथी प्रमांण
परगटी जद सूं प्रिथी माडैय बण मिजमांन
काळ आय डेरा किया जांणै सकल जहांन
सांवरियै नंह सोचियौ ऊंडौ समंद अथाह
चक्र काळ रौ चालसी धोरां तणी धराह
बरस हजारां बीतग्यां कितराई पड़ग्या काळ
मानी हार न मांनखै मांन्यौ नहीं महाकाळ
धोरां री तपती धरा लूआं रा लपटाह
मांणस मुरधर देस रा झालै नित झपटाह