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काळ / रामस्वरूप किसान

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तीन साल हुग्या
छांट कोनी पड़ी
मो‘रयां कढ़ी
सांकळां झड़ी

हळां रा
पण ऊपरनै हुग्या
डै‘रां में

धीणै रा
सिर घुसग्या
मैरां में

घर छोड़
आखड़तो फिरै
मरू रौ किरसौ

नाळी में,
नै‘रां में।