भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काहें मन करेल गुमान हो / रामपति रसिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

रामपति रसिया का यह गीत अधूरा है, आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें

काहें मन करेल गुमान हो, बिहान देखि पइब की नाहीं
सपना समान बा जहान के बजरिया
सम्भरि के धर पांव देखि के डगरिया
नाही बाटे कवनो ठेकान हो, बिहान देखि पइब की नाहीं