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काहे न बोले दुलहिन लाल से / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काहे न बोले दुलहिन लाल सेॅ
काहे न बोले तुम लाल सेॅ।1॥
सेजिया लगा दे गेना<ref>गेंदा; एक फूल</ref> हजार सेॅ
काहे न बोले तुम लाल सेॅ।2॥
बेनिया डोला दे चंपा डाल के।
काहे न बोले दुलहिन लाल सेॅ।3॥
घूँघट उठा के मोतियन जाल के।
काहे न बोले तुम लाल सेॅ।4॥

-यह गीत मुस्लिम परिवारों में भी प्रचलित है।

शब्दार्थ
<references/>