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का देखि मछरी लोरिया करत है / बघेली

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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

का देखि मछरी लोरिया करत है
का देखि भंवरा लोभाय
का देखि दुलहे गये ससुररिया
का देखि रहे हैं लोभाय
जल देखे मछरी लोरिया करत है
फूल देखि भंवरा लोभाय
सारी देखि दुलहे गये है ससुररिया
सरहज देखे लोभाय
का मांगे सारी रे का मांगे सरहज
का मांगे धनिया तोहार
सारी जो मांगै अनधन सोनवा
सरहज लहरपटोर
धनिया जो मांगै कंचन चुरिया
सगली अजुध्या के राज
कहां पइहा मोरे पूत अनधन सोनवा कहां पइहा लहर पटोर
कहां पइहा लहर पटोर
कहां पाइहा मोरे पूत कंचन चुरिया
सगली अजुध्या कै राज
सोनरा घर पउबै अनधन सोनवा
लखेरे घर लहर पटोर
पटवा के घरे पउबै कंचन चुरिया
अपनी अजुध्या के राज