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किंछा / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
खाय पियै लेॅ कभी नै तरसौं
धान, चना, जौ, गेहूँ, सरसों
नानी संगे रहौं तेॅ बरसौं
धान, चना, जौ, गेहूँ सरसों
खेलें, गुरु जी ऐतौ परसों
धान, चना, जौ, गेहूँ सरसों।