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किए रंगबिरहा धूरि फँकै छै !!! / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
Kavita Kosh से
दुअर्थी जीवाक महामारी छै
देह गोर मुदा हिया कारी छै
कियो एना छै भौतिक हाहिमे
ककरो रोटीक लाचारी छै !
लपची जकाँ आंगन छहछह
दलान गायकेर गोबरसँ नीपल
उरसँ मधुर वचन चुबै छै
करेजमे दंभक द्रव छै पोतल
एहेन छगुन्ता किछुए के' नहि
रास मनुक्खमे एकर वास छै
बोइनमे पिलुआहा खुद्दी नापै
भरल बखारी सड़ैत चास छै
एक्के कर्मक ई नहि लक्षण
बेस रास विवर्तक इएह गति
सहचरी बदलि जे राति बिताबै
वेअह एखन अछि पुरुखाहा सति
जेना जीबै कियो ओक्कर जीवन
बहुरुपिया बनि किए ठकै छै
दिनमे कंठी शालिग्राम संग
रातिमे सुरा आ सुन्नरि चखै छै
घीचि- घीचिक' के बाहर करतै
जकरा फबलै नहि सेअह बकै छै
अजगुत लक्षण आजुक लोकक
किए रंगबिरहा धूरि फँकै छै !!!