भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किछु ने रहल मोरा हाथ / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
किछु ने रहल मोरा हाथ
हे उधो किछु ने रहल मोरा हाथ
गोकुल नगर सगर वृन्दावन, सुन भेल यमुना घाट
वृन्दावनक तरुणी सब कानय, झहरि-झहरि खसु पात
ओहि पथ रथ चढ़ि गेला मनमोहन, कै दिन तकबै बाट
साहेब जा धरि पलटि ने अओता, ब्रज भेल अगम अथाह