भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कितनी देर हुई है / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कितनी देर हुई है,
पापा को पढ़ते अखबार!

ढेरों काम किए मम्मी ने
गरम पराँठे, चाय बनाई,
होमवर्क में चिंटू जी ने
नक्शे पर इस नदी बहाई।
पूरा चित्र किया दीदी ने
गौरैया के पंख बनाए,
प्रश्न किए हल भैया ने, फिर
उनके उत्तर सही मिलाए।

लेकिन पापा बड़ी देर से
उलट रहे हैं बस अखबार,
घंटा बीता, दो घंटे फिर
बीत न जाए यह इतवार!

पापा, पापा, जरा नहा लो
चिड़ियाघर की सैर करा दो,
और करें कब तक इंतजार?
छोड़ो भी पापा, अखबार!
अजब निगोड़ा यह अखबार!