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कितनी सुंदर हो जाती हो / पद्मजा शर्मा
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(सुलोचना रांगेय राघव के लिए)
नदी ने बहना, फूलों ने खिलना
सूरज ने उगना तुम से सीखा है
तुम्हें नहीं पता जब तुम हँसती हो
भूल जाती हैं चिड़ियाँ चहकना
शामें ढलना, बादल बरसना
खिलखिलाती हो कभी खुद में खो जाती हो
तब तुम कितनी सुंदर हो जाती हो
यही संुदरता हरियाली है
बच्चे की मुस्कान, पंछियों की उड़ान है
क्या तुम जानती हो
यह उड़ान तुम हो
और वह असीम आसमान भी
तुम ही हो
सुलोचना !