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कितने फूल / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
कितने अच्छे हो न वृक्ष
सजा दी है तुमने तो
मेरी छोटी-सी खिड़की पर
एक छोटी-सी टहनी
लदी फूलों से!
कितना मज़ा आता है न मुझे
देख-देख कर इसे!
हिलाते हो तो
और भी मज़ा।
देखने तुम्हें आऊंगी
पूरा का पूरा!
अभी बीमार हूं न?
नहीं निकल सकती
दरवाजे के बाहर,
मां जो कहती है!
पर आऊंगी
जरूर आऊंगी तुम्हें देखने
पूरा का पूरा!
अच्छा बताओ तो
कितने फूल आए हैं
इस बार तुम पर?