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कितने लोग ! / भारत यायावर
Kavita Kosh से
उठते-बैठते
चलते-फिरते
गिरते-पड़ते
खाँसते-हाँफते
कितने लोग ! कितने लोग ! कितने लोग !
हवा में थमे हुए
धरती पर झुके हुए
ख़ामोश और रुँधे हुए
फटेहाल और बिके हुए
कितने लोग ! कितने लोग ! कितने लोग !
भूख से बिलखते हुए
मार से तड़पते हुए
प्यार से बिखरते हुए
कितने लोग ! कितने लोग ! कितने लोग !
सदियों से खड़े हुए
आज भी हैं पड़े हुए
कीचड़ में धँसे हुए
झाड़ियों में फँसे हुए
ज़िन्दा, पर मरे हुए
कितने लोग ! कितने लोग ! कितने लोग !