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किताब से निकलकर प्रेम कहानी.. / कमलेश्वर साहू


किताब से निकलकर एक प्रेम कहानी ने
ले ली अपनी गिरफ्त में
मेरे शहर की एक भोली-भाली लड़की को
आ घुसी उसके कोमल मन में
जीवन में मचा दी हलचल
लड़की ने बिल्कुल वैसा ही प्रेम किया
जैसे किताब की प्रेम कहानी की नायिका ने
लड़की के वही आदर्श
वही आकांक्षा वही स्वप्न
जीवन और प्रेम को लेकर वही आस्था
वही लालसा वही ललक
संकट और संघर्ष के बारे में
ठीक-ठाक कुछ कह पाना मुश्किल है
कहानी से बाहर प्रेम
और जीवन में अक्सर
जोखिम कुछ ज्यादा ही होता है
लड़की ने जिससे प्रेम किया
वह वैसा नहीं निकला
जैसा प्रेम कहानी का नायक
इस तरह एक लड़की का प्रेम
देखते ही देखते कहानी होकर रह गया
इस तरह एक प्रेम कहानी
जीवन्त होने से रह गई
इस तरह प्रेम
कहानी में ही होकर रह गया दफ्न !