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कित रै घडिये कढाईयां / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कित रै घडिये कढाईयां
कित रै घडिये चमचा
मीट्ठी लागै पंजीरियां
मेरठ घढिये कढाईयां
दिल्ली घढिये चमचा
मीट्ठी लागै पंजीरियां
कुण जै ल्यावै कढाईयां
कुण जै खुरचैगा दाम
मीट्ठी लागै पंजीरियां
सुसरा ल्यावै कढाईयां
जेठा खुरचैगा दाम
मीट्ठी लागै पंजीरियां
कुण जै करै कढाईयां
कुण जै फेरै चमचा
मीट्ठी लागै पंजीरियां
सासड़ करैं कढाईयां
नणन्दल फैरे चमचा
मीट्ठी लागै पंजीरियां
कुण जै खागी पंजीरियां
कुण जै चाटैगा होठ
मीट्ठी लागै पंजीरियां
जच्चा खा गी पंजीरियां
कन्था चाटैगा होठ
मीट्ठी लागै पंजीरियां