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किया जो कौल है मोहन निभाना भूल मत जाना / रंजना वर्मा
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किया जो कौल है मोहन निभाना भूल मत जाना।
स्वजन को कष्ट सरिता से बचाना भूल मत जाना॥
भरी है प्यास नयनों में तुम्हारे रूप दर्शन की
जगाकर प्यास मनमोहन बुझाना भूल मत जाना॥
किनारा दूर है हम से फँसी मंझधार में नैया
इसे बन नाखुदा तट पर लगाना भूल मत जाना॥
दिया है वेग सरिता को मधुर मुस्कान कलियों को
बचा कर आततायी से हँसाना भूल मत जाना॥
सजा नवनीत उल्फ़त का भरी उर नेह की मटकी
हमारी प्रीति का माखन चुराना भूल मत जाना॥
तुम्हारा नाम है चितचोर दुनियाँ जानती है ये
चुरा चित बाँसुरी पर धुन सुनाना भूल मत जाना॥
विकट काँटों भरी दुनियाँ तुम्हारा आसरा अनुपम
पकड़ कर हाथ जग बन्धन छुड़ाना भूल मत जाना॥