किया न मैंने भूलकर, तुमसे प्यारे! प्यार।
पर तुम अपने-आप ही करते रहे दुलार॥
प्यार तुम्हारा मैं रहा ठुकराता हर बार।
दूर भागता, पकड़ तुम लाते हाथ पसार॥
‘मत जाओ उस मार्ग’ तुम कहते बारंबार।
हठपूर्वक जाता चला, दौडे जाते लार॥
चिर अपराधी, अघीका ढोया बोझ अपार।
(मेरे) निज निर्मित दुखमें लिया तुमने गोद सँभार॥