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सांग:– महात्मा बुद्ध (अनुक्रमांक – 36)
वार्ता:- सज्जनों! फिर राणी को महात्मा बुद्ध की बात समझ मे आ जाती है और भिक्षा दे देती है और फिर नगरवासी, राजा, मंत्री, रानी-महारानी आदि सभी कहते है कि आपने इतनी भक्ति करके इस दुनिया मे घूमकर एक साधू की सभी सिद्धिया प्राप्त करली, लेकिन हमे तो भविष्य के बारे मे कुछ नही बताया और हमें भी तो कुछ बताओं, फिर तो महात्मा बुद्ध कलयुग के भविष्य के बारे मे क्या बताता है।
जवाब:- महात्मा बुद्ध का।
किया बखान महात्मा बुद्ध नै, ऐसा कलयुग आवैगा,
बिन मतलब ना कोए किसे कै, पास बैठणा चाहवैगा ।। टेक।।
मां जाए भाई का भाई, करै कदे इतबार नही,
बेटी लड़ै बाप के हक पै, मां-बेटे का प्यार नही,
भीड़ पड़ी मै साथ निभावै, मित्र-रिश्तेदार नही,
ब्याही वर नै छोड़ चली जा, जोट मिलै एकसार नहीं,
कोर्ट केश मुकदमा जीतै, फेर दुसरी ब्याहवैगा।।
छत्री का छत्रापण घटज्या, झुठ ब्राहमण बोलैंगे,
गऊ फिरैंगी सुन्नी घर-घर, संत सुआदु डोलैंगे,
पुन्न की गांठ पाप का नर्जा, घाट व्यापारी तोलैंगे,
शुद्र होंगे राजमंत्री, बाकी धूल बटोलैंगे,
जातपात का भेद रहै ना, कौण किसतै शरमावैगा।।
पैसा पांह का भाई भा का, सब मतलबी जहान होज्या,
मदिरा-मांस बिकै घर-घर मै, मध्यम खानपान होज्या,
मात-पिता हो कर्महीण, दुख देवा संतान होज्या,
आपा धापी बेईन्साफी, दुनिया बेईमान होज्या,
कर्म का खेल भविष्यवाणी, कोए करै उसा फल पावैगा।।
वोट का राज नोट की दुनिया, घर का राज रहै कोन्या,
मात-पिता-गुरू-छोटे-बड़े की, शर्म ल्हाज रहै कोन्या,
हर इंसान करया धन चाहवै, कोए मोहताज रहै कोन्या,
राजेराम फूट घर-घर मै, सुखी समाज रहै कोन्या,
हेरा-फेरी बेईमाना, माणस नै लोभ सतावैगा।।
वार्ता:- सज्जनों! फिर इतना कहके महात्मा बुद्ध कपिलवस्तु से प्रस्थान कर जाता है। इस प्रकार महात्मा बुद्ध हरि का 23 वां अवतार हुआ जो एक कलयुग का अवतार था। इस प्रकार जो भी यह बुद्धवाणी-बुद्ध चरित्र व धार्मिक इतिहास कोए सुणने वाला चतुर आदमी विचार करेगा, वह भी सत की खोज करके धर्म का मार्ग पर चलकर सिद्धि प्राप्त करेगा। यह सांग यही समाप्त होता है।