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किराए का कमरा / शी लिज़ी
Kavita Kosh से
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दस वर्ग मीटर की एक जगह है
तंग और उदास, जहाँ धूप नहीं पहुँचती
यहाँ मैं खाता हूँ, सोता हूँ,
पाखाने जाता हूँ और सोचता हूँ
खाँसता हूँ, सिरदर्द सहता हूँ,
बूढ़ा होता हूँ, बीमार पड़ता हूँ
मगर मर नहीं पाता
एक धुँधली पीली रोशनी के नीचे बैठा मैं
भावशून्य होकर देखता हूँ बेवकूफों की तरह,
हँसता हूँ
इस जगह के चक्कर काटता,
गुनगुनाता हूँ,
पढ़ता हूँ, कविताएँ लिखता हूँ
और हर बार जब मैं
खिड़की या इस जर्जर दरवाज़े से झाँकता हूँ
तो लगता है
अपने ताबूत से निकल रहा है एक मरा हुआ आदमी !
मूल चीनी भाषा से अनुवाद : सौरभ राय