किसकी है प्रतीक्षा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
युगों- युगों से
किसकी है प्रतीक्षा
व्यथित मन!
2
सूना है पथ
खंडित मनोरथ
आ भी तो जाओ!
3
पत्ते खड़के
हवा का झोंका बन
क्या तुम आए?
4
धरा -सा मन
उद्ग्रीव हो तकता
बाट तुम्हारी।
5
कहाँ थी खोई
बरसों बाद मिली
बिटिया में तू।
6
यादों के दीप
मोती छुपाए सीप
नैनों में तुम।
7
हुड़क उठी
मन बियाबान में
तू याद आया।
8
अँधेरे घने
सुधियाँ हैं खोजती
कहाँ हो चाँद!
9
नश्तर चुभे
बेवफ़ा याद आए
तूने सँभाला।
10
स्मृति के ग्रंथ
जब जब थे बाँचे
पिंघला हिम।
11
उर -शिलाएँ
दबा न पाईं यादें
फूटा प्रपात।
12
मन ही तो है
भुला न पाए तुम्हें
में क्या करूँ।
13
उर तरु की
काँप उठी फुनगी
यादें उमड़ी।
14
चैन न पाए
घुमड़ती हैं यादें
बादल फटा।
15
ध्वांत गहन
टेढ़ी मेढ़ी है बाट
चोटिल यादें।
16
जलता नभ
यादें तेरी शीतल
मन मुदित।
17
लिपटीं गले
रोम -रोम चूमती
यादें तुम्हारी।