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किसको आती है मसीहाई किसे आवाज़ दूँ / जोश मलीहाबादी
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किसको आती है मसीहाई किसे आवाज़ दूँ
बोल ऐ खूँख़ार तन्हाई किसे आवाज़ दूँ
चुप रहूँ तो हर नफ़स डसता है नागन की तरह
आह भरने में है रुसवाई किसे आवाज़ दूँ
उफ़ ख़ामोशी की ये आहें दिल को भरमाती हुई
उफ़ ये सन्नाटे की शहनाई किसे आवाज़ दूँ