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किसान / विश्वनाथ प्रसाद शैदा

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भइया! दुनिया कायम बा किसान से। हो भइया
तुलसी बबा के रमायन में बाँचऽ, जाहिर बा सास्तर पुरान से।
भारत से पूछऽ, बेलायत, से पूछऽ, पूछऽ ना जर्मन जापान से।
साँचे किसान हवन, तपसी-तियागी मेहनत करेलें जिया जान से।
हो भइया! दुनिया कायम बा किसान से॥
जेठो में जेकरा के खेते में पइबऽ, जब बरसेले आगि असमान से।
हो भइया॥
झमकेला भादो जब चमकी बिजुलिया, हटिहें ना तनिको मचान से।
भइया, पूसो में माधो में खेते ऊ सुतिहें डरिहें ना सरदी-तूफान से।
हो भइया॥
दुनिया के दाता किसाने हवन जा, पूछऽन पंडित महान से।
हो भइया॥
गरीब किसान आज भूखे मरत बा, करजा गुलामी-लगान से।
हो भइया॥
होई सुराजऽ किसान सुख पइहें, असरा रहे ई जुगान से
भारत के ‘शैदा‘ किसान सुख पावसु बिनवत बानी भगवान से
हो भइया॥