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किसीके प्यार में मरने को हम मरे तो सही / गुलाब खंडेलवाल

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किसीके प्यार में मरने को हम मरे तो सही
हमारी मौत से दुनिया मगर जिए तो सही

उभरती आती है आँखों में सूरतें क्या-क्या
हमारे साथ कोई दो क़दम चले तो सही

बड़े ही शौक से उसको गले लगायेंगे हम
नज़र से आपकी बिजली कभी गिरे तो सही

बहुत हुआ यही एहसान, हमको भूले नहीं
वे बेरुख़ी से ही उठकर गले मिले तो सही

कभी तो आपकी मुस्कान देख लें हम भी
हमारे बीच का परदा कभी उठे तो सही

खड़ी है प्यार की दुनिया नज़र बिछाए हुए
गुलाब! आपके होँठों पे कुछ खिले तो सही!