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किसी और को आजमाना नहीं है / रंजना वर्मा

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किसी और को आजमाना नहीं है
मुहब्बत का कोई ठिकाना नहीं है

बहुत सुन लिये तेरे किस्से हवाई
बचा पास कोई बहाना नहीं है

मुहब्बत में कोई न अब जान देता
रहा वो पुराना जमाना नहीं है

नहीं हीर कोई नहीं कोई राँझा
हथेली पे ले जान जाना नहीं है

अजब है ये दस्तूर उल्फ़त का यारो
कि ग़म में भी आँसू बहाना नहीं है

भले बेवफ़ाई करे यार लेकिन
कभी प्यार उसका भुलाना नहीं है

इसी से किया फैसला साँवरे ये
जमाने से अब दिल लगाना नहीं है

उजाले रहें हर तरफ हर डगर पर
अँधेरों को भी पर मिटाना नहीं है

बहे अश्क़ देंगे बता हाल दिल का
इन्हें अब नज़र से गिराना नहीं है