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किसी और भाषा में / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
किसी और से
किसी और ही भाषा में
कुछ और ही कहा जा रहा था
और मैं समझ रहा था
मुझसे मेरी भाषा में मेरी बात की जा रही है
और जितना इसे मैं समझ रहा हूँ
शायद ही कोई और समझ रहा होगा!