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किसी का प्यास से सूखा गला है / रंजना वर्मा
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किसी का प्यास से सूखा गला है
तो कोई बाढ़ में बहने लगा है
नहीं है जिंदगी से अब मुहब्बत
तजुर्बा कुछ उसे ऐसा हुआ है
कभी तो जिंदगी आवाज़ देगी
अकेले में वो अक्सर सोचता है
ज़माने में वफ़ा किस ने निभाई
न कहना अब उसे वो बेवफ़ा है
जिसे हो ढूँढते वो मैं नहीं हूँ
तुम्हें शायद कोई धोखा हुआ है
कभी तो पास आ कर कह दे कोई
कि वो बस दिल को मेरे चाहता है
सदा है गूँजती तनहाइयों में
कोई दरिया की तह में रो रहा है
हमेशा दिख रहा जो साथ मेरे
नहीं दूजा है कोई आईना है
नहीं मिलती उसे मंजिल कभी भी
जो अपनी राह से भटका हुआ है