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किसी किसी को वो ऐसा जमाल देता है / अजय सहाब

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किसी किसी को वो ऐसा जमाल देता है
जो आईने को भी हैरत में डाल देता है

अगर मैं पूछूँ किसी से कि हुस्न क्या शय है?
हर एक शख़्स तो तेरी मिसाल देता है

खुदा किसी को मुकम्मल ख़ुशी नहीं देता
जहाँ ख़ुशी हो तो आंसू भी डाल देता है

ज़माने भर की वो बातें तो मुझसे करता है
जो दिल की बात है हंसकर वो टाल देता है

मेरा ज़मीर ही रहबर मेरी खुदी का है
अगर गिरूं तो वो मुझको संभाल देता है

वो दौर आया कि नन्हा सा एक जुगनू भी
चमकते चाँद में कीड़े निकाल देता है

खुदा के बारे में पूछूं तो किस से क्या पूछूं ?
हर इक जवाब हज़ारों सवाल देता है

'सहाब' इतने भी हस्सास<ref>भावुक</ref> शेर मत कहना
ये लहजा तेरा कलेजा निकाल देता है

शब्दार्थ
<references/>