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किसी की आँख का आंसू हमारी आंख में आया / उर्मिल सत्यभूषण
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किसी की आँख का आंसू हमारी आंख में आया
किसी के दर्द ने दिल को हमारे खूब तड़पाया
हमारे हाथ में यूं तो बका का जाम था आया
मगर किस्मत के क्या कहने कि रह रह जाम छलकाया
ग़में दौरां, ग़में जाना ने, बख्शे रंग दिल को जो
ज़मीं पर अदब की हमने उन्हीं रंगों को बिखराया
हमारे दिल का गुल करता रहा जिस जिस के भी सदके
उन्हीं राहों के कांटों ने हमारा पांव सहलाया
ज़माने से न माँगेगी अना उसकी ये खुद्दारी
खुदा के सामने जिसने न कभी हाथ फैलाया
हज़ारों ख्वाहिशों, ख़्वाबों और अरमानों के मलवे से
बनाकर खाद उर्मिल ने यह अपना बाग महकाया।