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किसी की आँख में आँसू सजाकर / राम गोपाल भारतीय
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किसी की आँख में आँसू सजाकर
बहुत पछताओगे यूँ मुस्कुराकर
तुम उसके पाँव के छाले तो देखो
कहीं वो गिर न जाए डगमगाकर
तेरी शोहरत तेरा धन-माल इक दिन
हवा ले जाएगी पल में उड़ाकर
वही देता है अक्सर चोट दिल को
जिसे हम देखते हैं आज़माकर
हमारे सर की भी क़ीमत है कोई
जिसे हम जान पाए सर गँवाकर
बड़ा अच्छा था उनसे फ़ासला था
बहुत पछताए हम नज़दीक आकर