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किसी की जिं़दगी से हम / उर्मिल सत्यभूषण

छबीले।
मोर पंखी पल
किसी की जिं़दगी से हम
चुरा लाये
अपनी मुट्ठियों में बंद
कर वे अनकहे
से छंद
दिल की पुस्तिका में
हम छुपा लाये
नशीले!
इन्द्रधनुषी पल
कि जैसे ज्योति के निर्झर
उजालों में नहा आये
रंगीले।
किरण पंखी पल
बरसते नेह के बादल
कलुष सारा बहा आये
किसी की जिं़दगी से हम
चुरा लाये चुरा लाये।